नीलिमा बंसल और मुंगोड़े
अभी सुबह के ५ ही बजे थे, चिड़ियों के चहकने की आवाज़ कुत्तों के भोंकने के साथ मिलना शुरू ही हुई थी , की एक तेज़ और कर्कश आवाज़ का शोर सुनकर नीलिमा ने रूटीन तौर पर झल्लाते हुए अपनी सफ़ेद डायल वाली HMT की अलार्म क्लोच्क का अलार्म बंद किया.
नीलिमा की आँखे अभी भी बोझिल थी, उसकी थकन ने उसकी जागने की इच्छा पर विजय पते हुए उसे दस मिनट और सोने के लिए मन ही लिया. नीलिमा फिर से बेसुध होकर सो गई. जो चीज़ अपने हिस्से की नहीं हो उसे इस्तमाल करने का मज़ा कुछ और ही होता है, यही आनंद नीलिमा जाने अनजाने में लिए जा रही थी.
नीलिमा की दस मिनट की नींद जब पूरी हुई तो उसने देखा की साढ़े छह बज चुके है. नीलिमा न तो घबराई नहीं हडबडाई यह उसके रोज़ का रुटीन था. अपने बाकि के रुटीन पुरे करने के फ़ौरन बाद उसने आफिस जाने से पहले मूंग की दल देखि जो उसने शाम को मुंगोड़े बनाने के लिए गलाई थी. आज शाम के मुन्गोड़ों के अच्छे बनने का महत्व वो जानती थी. आफिस जाने से पहले नीलिमा ने अपने कील मुंहासों के बही खाते में आज का हिसाब किया, उसके चेहरे के भाव देखकर समझा जा सकता था की आल बही में कुछ इजाफा ही हुआ है.
रोज़ सुबह की तरह ही पॉवर कट के कारण बंद पड़ी लिफ्ट ने नीलिमा को मुह चिडाया. नीलिमा ने आज एक प्लेन पिली रंग की शिफोन की साड़ी पहनी थी. बस स्टॉप पर जाते समय रस्ते में आने वाले गणेश मंदिर के सामने आज कुछ ज्यादा देर रुक कर प्रणाम किया, यह शायद कुछ ऐसा था जैसे वो भगवान् गणेश को अपनी शक्ल याद दिलाना चाह रही हो.
बस स्टॉप पर पहुंची तो पाया अब तो कोई भी रोज़ की पहचान वाला नहीं था. खैर ऐसा पहली बार तो नहीं हुआ था, हफ्ते में दो या तीन दिन ऐसा ही होता था.
४७६ नंबर की बस आते ही वो बस पर चढ़ी, बस भरी हुई थी, नीलिमा ने महिला कोटे की सीट की तरफ नज़र दौड़ाई, उस पर भी महिलाएं ही बैठी थी. नीलिमा कड़ी रही. बस में भीड़ थी लेकिन आज किसी भी हरामी ने उसे कहीं भी चुने कोशिश नहीं की. ऑफिस पहुँचते ही उसने सब से गुड मोर्निंग कहा, खैर गुड मोर्निंग तो तयब भी कहना पड़ता है जब कोई हरामी बस में कुछ हरकत कर देता है.
बगल में बैठने वाली सुषमा की लीव आज से ही शुरू थी. उसकी खली कुर्सी देखना कुछ अजीब सा लग रहा था. सुषमा की छुट्टी एक महीने की थी, शादी में इतने दिन तो लग ही जाते हैं. शादी की काफी साड़ी शौपिंग सुषमा और नीलिमा ने साथ साथ ही की थी.
सुबह की चाय पीते हुए वो बाजु वाले केबिन में चल रही लेट नाईट मूवी का critical review वो काफी हद तक सुन सकती थी.
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